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Wednesday, December 19, 2012

soch


Khushk hai ye hawayein
fir bhi aankhon mein nami kyun hai
Chal rahi hai saansein par
jaane zindagi thami si kyun hai.
nikal pade hain in sawaalon ki talaash mein hum
kuch bhool aaye hai piche fir bhi ye bharam kyun hai

Thursday, October 18, 2012

Ruswaai


वो गुज़रे मेरी राह से यूँ  अजनबी  बनकर 
देख  कर  भी  हमको  वो  अनदेखा  कर  गए
मिले  फिर  वो  हमसे  महफ़िल  में  दोस्त की 
मुंह  फेर  कर  उस  भीड़  में  रुसवा  सा  कर  गए 
मुस्कुराये  हमारे  दर्द  पे  वो  कुछ   इस  तरह  से 
अश्कों  से  हमारे  वो  अपना  जाम  भर  गए 
इस  बेरुखी  की  आदत  नहीं  थी  हमें  उनकी 
दीवानगी  हमारी  इस  कदर  उन पे  है 
वो  जब  नज़र  आये  हमें  और  किसी  के  साथ 
टूट  कर  हम  कांच  की  तरह  बिखर  गए 
मिलेंगे  अगली  बार  वो  जब  फिर  किसी  मोड़  पर  
हो  सकता  है  बेआबरू  वो  फिर  करें  हमको 
हम  फिर  से  मुस्कुरा  देंगे  उन्हें  देखकर  यूँ  ही 
परवाने  है  जलने  की  हमको  आदत  सी  पढ़  गयी  



(C) DEEPANSHU PAHUJA

Monday, July 23, 2012

khaamoshi.


सूखे  हुए  अश्कों  की  भी  एक   दास्ताँ  होती  है 
बहते  हुए  पानी  से  ही  हर  कहानी  नहीं  बयान  होती 
कह  देते  है  कोई  बात  हँसकर अगर  हम  तुमसे 
तो  ये  ना समझो  की  दर्द  हुआ  hi नहीं 
ये  तो  आदत  है  अपनी  यूँ  छुपा   लेने  की 
की  रोते  हुए  दिल  से  भी  मुस्कराहट  पैदा  होती  है 
इन  खामोश अश्कों  की  कहानी  समझना   है  मुश्किल  
पर  ख्वाबों  की  ये  दुनिया  ही  कहाँ  आसाँ होती  है 
समझ  आ   जाए  कभी  तुमको  मेरी  ये  बातें 
तो  मुस्कुरा देना  मेरी  तरफ  देखकर   एक  बार 
कहते  हैं  मुस्कराहट  ही  दर्द  की  दवा  होती  है

                              (C) Deepanshu Pahuja

Monday, June 25, 2012

Zindagi ki kahaani


ज़िन्दगी  यूँ  बस  कुछ  लम्हों  की  मेहमान  होती  है 
फिर  भी  ये  लफ़्ज़ों  में  कहाँ  बयान  होती  है 
कह  ना पाया  इसकी  कहानी  कभी  भी  कोई 
फिर  भी  हर  नग्मे की  बस  यही  जान  होती  है 
कभी  दर्रों  सी  गहरी  है  झलक इसकी  
कभी  उथले  पानी  में  हिलती  परछाई  है 
कभी  फूलों  की  खुशबु  से  महकती  बगिया  है  ये 
कभी  भीगी  पलकों  की  नम  सी  तन्हाई  है 
कशमकश  से  भरा  लम्बा  सफ़र  है  ये  एक 
चल  के  इस  रास्ते पे  सबको  अपनी  दास्ताँ  बनानी  है 
समझ  ना  पाया  है  तो  इसको  कैसे  कहे  कोई 
पर  सब  कहते  है  ये  ज़िन्दगी  एक  कहानी  है

(C) Deepanshu Pahuja

Thursday, April 5, 2012

Jeevan


कल बगिया  में  देखा  था  एक  भंवरा मैंने 
शायद  नए  बूटे  में  फूल  निकल  आये  हैं 
मुझे  याद  है  आज  भी  वो  दिन 
जब  माली  ने  ये  बूटा  वहां  लगाया  था 
बड़े  प्यार  से  पानी  देकर  उसने  
उस छोटे से बूटे  को सहलाया  था 
मैं  भी  रोज़  देखता  था  इस  बूटे  को  बढ़ते  हुए 
माली  को  देखता  था  बूटे  से  अठ्केलियाँ  करते  हुए 
आज  देखो  ना उस  बूटे  में  नया  जीवन  खिल  आया  है 
माली  नहीं  है  वो  देखने  को  ये  जीवन  चक्र  की  कैसी  माया  है 
इस  सब  को  देख  कर  ये  बात  मेरी  भी  समझ  में  आई  है 
आना  जाना  यूँ   इस  दुनिया  में  जीवन  की  सच्चाई  है