कल बगिया में देखा था एक भंवरा मैंने
शायद नए बूटे में फूल निकल आये हैं
मुझे याद है आज भी वो दिन
जब माली ने ये बूटा वहां लगाया था
बड़े प्यार से पानी देकर उसने
उस छोटे से बूटे को सहलाया था
मैं भी रोज़ देखता था इस बूटे को बढ़ते हुए
माली को देखता था बूटे से अठ्केलियाँ करते हुए
आज देखो ना उस बूटे में नया जीवन खिल आया है
माली नहीं है वो देखने को ये जीवन चक्र की कैसी माया है
इस सब को देख कर ये बात मेरी भी समझ में आई है
आना जाना यूँ इस दुनिया में जीवन की सच्चाई है
wowwww
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