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Thursday, December 8, 2011

Ssshhh

मन में  है  वो  हर  इक  बात 
मगर  मेरे  अलफ़ाज़  क्यूँ  चुप  है .
कहना  चाहता  है  हर  कोई  कुछ  तो 
पर  आज  ये  पूरा  संसार  चुप  है 
सितारे  भी  कर  रहे  है  बातें  ढेर  सारी
फिर  भी  देखो  ना   आज  ये  आसमान  चुप  है 
बैठे  है हम  यूँ  नज़रों  से  कहते  सब  कुछ ,
पर  फिर  भी  तो  हम  और  आप  चुप  है 
गरज  रहे  है  बादल  यूँ  जोर  जोर  से 
मगर  रिमझिम  बारिश  की  फुहार  चुप  है 
सुनने  वाले  आके  बुद  बुदाते  है  बातें 
मगर  ना  जाने  क्यूँ  मेरा  फनकार  चुप  है .
वो  आँगन  भी   है , वो  लोरी  भी  है 
पर  ना  जाने  क्यूँ  माँ  का  दुलार  चुप  है .
चह  चाहते  हैं  परिंदे  अगर  तुम  सुनो  तो 
मगर  पत्तियों  की  वो  सरसराहट  चुप  है 
शोर  ही  शोर   है  देखो  हर  तरफ ,
मगर  ना  जाने  क्यूँ  आज  मेरा  संसार  चुप  है 
खो  गया  है  इस  सनाट्टे में  यूँ  सब  कुछ ,
वो  कहते  है  की  आज  तो  तेरा  प्यार  भी  चुप  है . 

(C) Deepanshu Pahuja

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