चल पड़े हैं इस राह पे
जिस का कोई मुकाम नहीं
ढूंदते हैं वो मंजिल
जिसका के कोई नाम नहीं
एक साथी है शायद जो
साथ दे सके दूर तक
वापिस अगर मुड़ जाये वो
तो बेवफाई का इलज़ाम नहीं
मेरे सपने मेरी नज़र मेरी मंजिल
जब तक मिले न मुझे बस अब आराम नहीं
तेरे साथ के एहसास की तपिश में
बस चलते रहना है और कोई काम नहीं
एक राह तुम चले हो अब
हमें यूँ अकेला छोड़ कर
शायद मिट जाएँ किसी मोड़ पर ये
फासले दोनों के दरमियान जो हैं
हम सदा ढूंदा करेंगे तुमको हर मोड़ पर
बस अब तुम्हारे लिए हमारा पैगाम यही
(C) Deepanshu Pahuja
awesome man..Loving it..
ReplyDeletebeautiful "paigaam"
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